प्रेमम : एक रहस्य! (भाग : 33)
अनि और एजेंट शॉ झोपड़ी के दीवारों के ओट सहारा लेते हुए बड़ी सावधानी से कदम बढ़ाते पेड़ो की झुरमुट की ओर बढ़ने लगे। सभी नकाबपोशों ने अपने हेलमेट में लगा सर्च लाइट ऑन कर लिया और चारों तरफ फैलकर उन्हें ढूंढ़ने लगे। वहां पर उन्हें अनि का बनाया महावृत चिन्ह दिखाई दिया जिसे अनि ने लगभग मिटा ही दिया था। वे सभी झोपड़ी झोपड़ी को उजाड़ने लगे मगर उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ।
"ये साले बनाते तो कुछ नहीं पर बिगाड़ सबकुछ देते हैं।" अनि उनकी हरकत से चिढ़ते हुए धीरे से फुसफुसाया।
"चुप रहो।" एजेंट शॉ ने अपने मुँह पर तर्जनी उंगली रखकर चुप रहने का इशारा करते हुए कहा।
"पहले तुम ये बताओ तुम मुझे जानती कैसे हो?" अनि उसकी ओर सरकता हुआ बोला।
"चुप रहो।" एजेंट शॉ ने उसके होंठो पर अपनी उंगलियां रख दी, अनि ने उसकी उंगली को दाँत से काट लिया। एजेंट शॉ की चीख उभरी मगर उसने अपने जबड़ो को भींचते हुए सारा दर्द खामोशी से पी गयी।
"ये कैसी बेवकूफ़ाना हरकत है ईगल!" एजेंट शॉ अब भी अपनी तर्जनी उंगली सहला रही थी, अनि ने बड़े जोर से काट लिया था, वह डबडबाई आंखों से उसे देख रही थी।
"तुम जानती हो मेरा नाम अनि है! और ये भी जानती हो कि मुझे तुम्हारा मेरे करीब आना बिल्कुल भी पसन्द नहीं! मैं एक बालब्रम्हचारी हूँ, मुझसे दूरी बनाकर रखो।" अनि ने एक एक शब्द को चबाकर बड़ी दृढ़ता से कहा। जिसे सुनकर एजेंट शॉ के पांवों तले की जमीन खिसक गई।
"ये क..क्या बोल रहे हो स..सुप्रीम ईगल!" स्वयं पर संयम रखने की कोशिश करते हुए एजेंट शॉ बोली।
"ये मत समझो चेहरा ढ़क लेने या आवाज बदल लेने से अनि तुम्हें पहचान नहीं पायेगा, मेरे पीछे अपनी ज़िंदगी बर्बाद करना बंद करो।" हमेशा मस्तमौला बने रहने वाले अनि का आज अलग ही अवतार नजर आ रहा था।
"हमारे मिशंस में फालतू बात करना अलाउ नहीं है, अभी चुप करो और ये बेकार की बाते बन्द करके यहां से निकलने की सोंचो।" एजेंट शॉ ने मुद्दा बदलते हुए अनि को वर्तमान परिस्थिति का एहसास दिलाते हुए बोली।
"बचना किसे है?" अनि ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा। उसकी आँखों में अजब सी शरारत नजर आ रही थी।
"और किस किस को गलतफहमी है ये लड़का….!" अभी एजेंट शॉ अपनी बात पूरी नहीं कर पाई थी तभी एक गोली उसके सिर के ऊपर से गुजरी, सायलेंसरयुक्त गन से गोली चलने के कारण, चलने की आवाज बिल्कुल नहीं सुनाई दी। उसने महसूस किया उसका चेहरा अनि के हाथों में था। उसी के साथ वह स्थान प्रकाशमय हो गया, उन नकाबपोशों ने उन्हें ढूंढ निकाला था, सभी ने उनके ऊपर बन्दूके तान दी। इससे पहले अनि कोई हरकत करता, एजेंट शॉ ने अप्रत्याशित हरकत की, उसने अनि पर झपट्टा मारा, दोनों तेजी से ढलान की ओर जा गिरे। एजेंट शॉ ने अपने शरीर को एकदम ढीला छोड़ दिया दोनों लुढ़कते चले गए। उसने जोर से अनि को अपनी बाहों में कस लिया, अब भी वे तेजी से लुढ़कते जा रहे थे, ऊपर से नकाबपोशों ने गोलियों की धुंआधार बारिश कर दी थी। अनि, एजेंट शॉ की इस हरकत से हैरान परेशान था, वह खुद को छुड़ाने का प्रयास कर रहा था मगर शॉ ने उसे बहुत मजबूती से पकड़ रखा था, साथ ही एक दूसरे के साथ तेजी से लुढ़कते जा रहे थे, जिस से उसका अलग हो पाना थोड़ा मुश्किल था। अचानक जमीन खत्म हो गयी दोनों लहराते हुए एक जल स्त्रोत में आ गिरे, यह कोई बड़ा कुंड था। अनि ने खुद को उससे अलग किया और तेजी से तैरते हुए किनारे पर निकल आया, वह खुद के अंदर कुछ अजीब महसूस कर रहा था, उसके मन में आत्मग्लानि का भाव उपजने लगा था।
"तुम्हें समझ नहीं आता!" अनि ने गुस्से से चीखते हुए कहा। मगर एजेंट शॉ उसके गुस्से की परवाह न करते हुए उसके बिल्कुल पास जाकर बैठी। दोनों के कपड़े जगह जगह से फट गए थे, शरीर बुरी तरह से छिल गए थे।
"तुम ये बहुत अच्छी तरह से जानती हक कि मैं तुम्हारा कभी नहीं हो सकता। फिर ऐसी हरकतें क्यों?" अनि के आंखों में आंसू डबडबा गए थे।
"हाँ! हाँ! मैं जानती हूँ। तुम किसी के नही हो सकते, पर मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ और हमेशा रहूंगी।" कहते हुए एजेंट शॉ ने अपना मास्क हटा दिया, उसकी सूरत देखकर अनि बिल्कुल भी हैरान नहीं हुआ था, उसकी आँखों में अब भी वही भाव थे जो तब थे। वो अपलक उसी को घूरे जा रहा था।
"हाँ! मैं तुमसे बेइंतहा मोहब्बत करती हूँ। मैं तुम्हें पाना चाहती हूँ और इसके लिए तुम्हें बार बार हर्ट कर देती हूँ, आज जब तुमने कहा कि शायद मैं अब तीसरे द्वार की कुंजी बन चुकी हूँ तो मैंने समझ लिया कि मेरी मौत आने ही वाली है। मेरा यकीन मानो अनि मुझे मौत से डर नहीं लगता, मुझे डर लगा कि मैं बिना तुम्हें महसूस किए, बिना तुम्हें अपनी बाहों में भरे मर जाऊंगी। मैं ऐसी जिंदगी नहीं चाहती जिसमें तुम न हो, पर ऐसी मौत भी नहीं चाहिए जिसमें मैं बिना तुम्हारे अहसास को जिये मर जाऊं।" बुरी तरह फफक-फफककर रोने लगी वो, उसकी आँखों में आँसुओ का सैलाब उमड़ आया। "अगर तुम्हें ये गलत लगता है तो ठीक है अनि तुम मुझे अपने हाथों से मार देना। मैं बस ऐसी ही मौत चाहती हूँ, कम से कम इसके बाद उनकी कुंजी तो नष्ट हो जायेगी। मैंने हर कदम पर खुद को रोके रहा, तुमसे बात करते वक़्त ऐसे बिहैव करती रही जैसे मुझे बस मिशन से मतलब है जबकि सच्चाई ये है कि अगर मैं एक लफ्ज़ भी बोलती तो तुम मुझे पहचान लेते। मैंने मिलने पर तुम्हें देखना चाहा पर देख न सकी, मैं तुमसे दूर नहीं रह सकती पर मैंने हर मुमकिन कोशिश की है अनि! आज मैं तुम्हें विरुद्ध जी नहीं कह रही, आज बस एक आखिरी बार तुम्हें गले लगाना है उसके बाद कभी तुम्हारें पास नहीं भटकूँगी। मुझे जैसे ही पता चला तुम यहाँ आये हो, मैं भी यहाँ की जानकारी जुटाने लगी, आखिरकार मैंने उस किताब की जानकारी हासिल की और यहां आने की परमिशन मिली। जानती हूँ तुम मुझसे प्यार नहीं करते! न ही कभी करोगे मगर मैं तो हमेशा करती रहूंगी न! कौन कहेगा दुश्मनो का सीना चीर देने वाली ब्लैक वुल्फ एक पागल दीवानी आशा होगी। मैं तुमसे दूरी बर्दाश्त नहीं कर सकती जबकि तुम कभी मेरे पास थे ही नहीं.. बताओ न क्या करूँ मैं?" आशा बिना रुके हरेक बात बोलती चली गयी, उसके अल्फाज़ो के साथ आँसुओ की धार भी तेज होती चली गयी।
"बस हो गया तुम्हारा?" अनि ने पूछा। उसके स्वर में व्यंग्य का पुट था।
"मैं अगर कहना शुरू करूँ तो जब तक क़यामत नहीं आ जाती तब तक मेरी बात खत्म नहीं हो सकेगी अनि! मेरे शब्द, मेरी बात, ये चाहत अब मेरी साँसों के साथ ही खत्म होंगे। तुम जानते हो मुझे बचपन से जासूसी का बहुत ज्यादा शौक रहा है, वैसे तुम्हें कहाँ से पता होगा वैसे भी तुम्हें तो लड़कियों और उनकी बातों से एलर्जी और ऊपर वाले का करिश्मा तो देखो तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड एक लड़की ही है। कभी कभी बहुत गुस्सा आता है उसपर, फिर सोचती हूँ उस बेचारी ने क्या किया है जो उसे कोसू! ये तो मेरी ही गलती है कि तुम्हें प्यार कर बैठी, मेरे प्यार में ही कुछ कमी है जो तुम्हें हासिल न कर सकी। खैर जाने दो तुम्हें मेरी बातें बकवास ही लगेंगी। मैं तुमपर बोझ नहीं बनना चाहती, आज अगर मेरी मौत तय है तो भला उसे कौन रोक सकता है!" आशा ने सिर झुकाकर बुरी तरह बिखलते हुए हरेक बात कही।
"हो गया तुम्हारा? या अभी कुछ बाकी है? ये निराशा भरे वचन वाचना बन्द कीजिये निराशा जी। जीवन में वो सब हासिल नहीं होता जो हमें चाहिए, भले हम काबिल हो या नहीं, इसलिए अपनी काबिलियत पर शक न कीजिये, आप तो एवरेस्ट के ऊंचे अपने प्यार का फतवा जारी करके आ सकती हैं।" अनि ने व्यंगपूर्ण लहजे में कहा। "और रही बात जान की तो ये अब मेरी या तुम्हारी अपनी नहीं है मिस आशा! ये अब इस देश की अमानत है, तो जान देने की बात तो भूल ही जाइये।"
"थैंक यू!" दिल मे लाख दर्द छिपाए होंठो पर मुस्कान लाने की नामुमकिन कोशिश की थी आशा ने, मगर वह असफल रही। वह अपने आंसू पोंछते हुए उठ खड़ी हुई। "मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है विरुद्ध जी! बस एक रिक्वेस्ट है कि अगर कहीं गलती से मर जाऊं तो एक बार मुझे अपनी बाँहो में जरूर भर लेना प्लीज! इसे मेरी आखिरी इच्छा समझकर पूरी कर देना।" कहते हुए उसके जबड़े भींच गए, दृढ़ निश्चय ने आँसुओ को पलकों के भीतर ही रोक दिया। वे दोनों बुरी तरह से भीगे हुए थे। चाँद की हल्की रोशनी में कुंड का पानी झिलमिला रहा था। अचानक चारों ओर तेज रौशनी फैल गयी, उन दोनों को अंदाजा हो गया था कि वे चारों ओर से गिर चुके थे, अनि ने अपनी पिस्टल टटोली मगर वो कहीं गिर चुका था, यही हाल आशा का भी था, दोनों निहत्थे एक दूसरे को ताक रहे थे।
"इतनी आसान मौत तो नहीं मरने वाली मैं!" आशा ने जबड़ा भींचते हुए कहा।
"हमेशा नाम के विपरीत काम क्यों करती हो निराशा जी? अरे अभी मरने की फुरसत कहाँ मारने की सोंचो।" अनि ने आशा पर ताना कसते हुए कहा।
"तो क्या तुम्हारी तरह इन्हें घास खिलाऊँ?" आशा ने उसी के अंदाज में जवाब देते हुए कहा।
"आईडिया तो सही है निराशा जी, मगर ये सारे हमारी तरह घोड़े हैं, ढोर हैं साले सब!" अनि ने चेहरे पर मुस्कान लाते हुए कहा।
"ये ढोर क्या होता है अब?" आशा ने चौंकते हुए पूछा।
"उन्हीं से पूछ लेना, अगर फुरसत मिले तो!" अनि एक झाड़ी के पीछे छुपते हुए बोला। "इतना लपेट दी कि मेरी पिस्टल ही गायब हो गयी, तुम्हरे पप्पा जी लपेट लेंगे हमको, और तुम इतने घने जंगल में आई तो ऐसे ही खाली हाथ चली आयी। वैसे भी तुम तो अमीर हो भई! मुँह उठाये और चल दिये जंगल की ओर!" अनि ने मुँह बनाया, जिसके रिएक्शन में आशा ने मुँह बिचका दिया। ऐसा लग ही नहीं रहा था कि दोनों दुश्मनों की फौज से घिरे हुए थे, वे दोनों बस अपने में लगे हुए थे।
"तुमने ये कैसे जाना कि एजेंट शॉ मैं हूँ!" आशा ने ऐसे पूछा जैसे कब से इसका उत्तर जानना चाहती हो।
"मेरे सामने ज्यादा सख्त बनने की कोशिश!" अनि ने कहा।
"और…!" आशा ने उसकी आँखों में देखा।
"तुम्हारा बेवजह मुझसे चिपकने की कोशिश करना! इतना काफी था कि मैं जान जाऊं कि उस नकाब के पीछे कौन है!" अनि ने सपाट लहजे में कहा।
"तो अब क्या गुडबाय करने का इरादा है या आई स्पाई खेलना है?" आशा ने अनि की ओर मुस्कुराकर देखते हुए पूछा।
"कुछ खेल ही लेते हैं!" कहते हुए अनि ने एक बड़ा पत्थर कुंड की ओर लुढ़का दिया, वातावरण में छपाक की तेज आवाज हुई, सभी ने आवाज की स्त्रोत को अपना निशाना बना लिया। थोड़ी देर बाद ही वे समझ गए कि उन्हें धोखा दिया गया था क्योंकि अब तक किसी के चीखने की आवाज न आई। अगले ही पल अलग अलग झुरमुटों से चरमराहट की आवाजें आने लगी, ऐसा लग रहा था मानो कोई पत्तो पर चल रहा हो। चारों दिशाओं से गोलियों की बौछार हो गयी, मगर थोड़ी देर बाद वह फायरिंग भी रुक गयी।
"ऐसे तो हम इन्हें कुछ देर के लिए ही धोखा दे सकेंगे! हमें कोई फुलप्रूफ प्लान बनाना होगा।" अनि ने एक चट्टान की ओट लेते हुए कहा।
"बिना किसी हथियार के इनका मुकाबला करना समझदारी नहीं होगी अनि! कोई ढंग का प्लान बनाना होगा।" आशा ने चिंतित स्वर में कहा।
"हथियार है न!" अनि के चेहरे पर ऐसी मुस्कान थिरक आयी जैसे उसने कोई खजाना हासिल कर लिया हो, वह अपने ब्रेसलेट के साथ थोड़ी छेड़खानी करने लगा।
"ये बस एक वायरलेस टेलेकनेक्शन डिवाइस है, कोई हथियार नहीं! तुम भला इससे क्या करोगे?" आशा उसकी बेवकूफी भरी हरकत को हैरानी से देखते हुए बोली। वे दोनों पेड़ो और चट्टानों की ओट लेकर हर पल अपना स्थान बदलते जाते थे।
"फ़िकर मत करो, ब्रह्मास्त्र आने वाला है!" अनि के चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान तैर गयी।
अगले ही पल वातावरण पूरी तरह जगमगा उठा, दो बाइक्स की हेडलाइट्स ने जंगल के उस हिस्से को ऊजाले से भर दिया था। सभी नकाबपोशों का ध्यान उन बाइक्स की ओर चला गया, वे सभी उसकी ओर अंधाधुंध फायरिंग करने लगे।
क्रमशः….
𝐆𝐞𝐞𝐭𝐚 𝐠𝐞𝐞𝐭 gт
24-Oct-2023 04:44 AM
Accha bhag tha👌
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